बट सावित्री पूजा को लेकर भक्तिमय हुआ कोयलांचल । पति की लंबी आयु एवं सुख समृद्धि के लिए आज सुहागिन महिलाएं करती है वटसावित्री की व्रत।
आपको बता दे की बट सावित्री पूजा को लेकर कोयलांचल भक्तिमय हो गया । सुहागिन महिलाएं सुबह से ही बट बृक्ष की पूजा अर्चना में लगे रहे । आज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य एवं सुख समृद्धि के लिए वट सावित्री का व्रत एवं पूजा अर्चना करती है। बता दें कि गुरुवार को ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत बड़े ही आस्था के साथ मनाया जा रहा है।
इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है। वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं भगवान शिव-पार्वती के साथ बरगद के पेड़ की पूजा करती है। कहते हैं इस दिन जो महिला पूजा श्रद्धा भाव से व्रत रखती है उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
इस वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत सुबह 6 बजकर 58 से शुरु होगी और शाम 5 बजकर 35 मिनट पर इसकी समाप्ति होगी।
सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार अश्वपति मद्र देश के राजा थे जिनकी एक ही संतान थी, जिसका नाम सावित्री था। सावित्री जब शादी योग्य हो गई तो राजा अश्वपति ने अपनी पुत्री का विवाह राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से कर दिया। सत्यवान अल्पायु था। नारद जी ने राजा अश्वपति को इस बारे में पहले ही बताया था लेकिन सावित्री इस बात अड़ गई की वे विवाह सत्यवान से ही करेंगी। ऐसे में राजा को अपनी पुत्री का विवाह सत्यवान से करवाना पड़ा. राज-पाठ छिनने के बाद सत्यवान अपने माता-पिता के साथ वन में रहने लगा। सावित्री भी सत्यवान के साथ वन में रहने लगी।
सावित्री को इस बात का पता था कि सत्यवान की आयु कम है इसके लिए उसने वट सावित्री व्रत रखने का संकल्प लिया। एक दिन सत्यवान जंगल की ओर जाने लगा जब सावित्री ने कहा कि वह भई उनके साथ चलेगी। जोनों जंगल की ओर चल पड़े. तभी लकड़ी का भार उछाते वक्त सत्यवान के मस्तिष्क में तेज दर्द उठा सावित्री जानती थी कि सत्यवान की मत्यु करीब है।
तभी सावित्री ने देखा कि यमराज सत्यवान को लेने आए हैं तो वह भी यमराज के पीछे-पीछे चल पड़ी. यमराज ने कहा कि ये नारी आपने अपने अब तक अपने धर्म का पालन किया अब आप लौट जाएं, तभी सावित्री ने कहा कि ‘जहां मेरे पति जाएंगे मैं भी वहीं जाउंगी’ यह सुनकर यमराज प्रसन्न हो गए और सावित्री से तीन वर मांगने कहा। तब सावित्री ने पहले वर में कहा कि मेरे सास-ससुर की आंखों की ज्योति वापिस कर दें। वहीं दूसरे वर में सावित्री ने कहा कि मेरे सास-ससुर का खोया राज्य वापिस लौटा दें। वहीं तीसरे वरदान में सावित्री ने कहा कि वह सत्यवान के 100 पुत्रों की मां बनना चाहती है। यह सुनकर यमराज ने सत्यवान के प्राण लौटा दिए।